कृष्ण लीला मधुरातिमाधुर बता दे.
भगवान का जब सगुण साकार अवतार होता है तो अपने नाम, रूप, लीला, गुण, धाम यह वह छोड़ जाते है जिसका अवलंब लेकर अनन्तानन्त जीव भगवान के प्रेमानंद को प्राप्त होते है उदारहर्नाथ अगर श्री कृष्ण का अवतार न होता तो शुकदेव श्री कृष्ण के लिये व्याकुल न होते. भागवत को सुना और परीक्षित को सुनाया. बिना सगुण साकार अवतार लिये भगवान के सगुण नाम, रूप, लीला, धाम का विस्तार हमको न मिलता. और बिना इसके प्राप्त हुये घोर मायाबध जीव किस प्रकार भगवत्प्राप्ति करते इसलिये जीव कल्याण के लिये ही भगवान का अवतार होता है.
भगवान का जब सगुण साकार अवतार होता है तो अपने नाम, रूप, लीला, गुण, धाम यह वह छोड़ जाते है जिसका अवलंब लेकर अनन्तानन्त जीव भगवान के प्रेमानंद को प्राप्त होते है उदारहर्नाथ अगर श्री कृष्ण का अवतार न होता तो शुकदेव श्री कृष्ण के लिये व्याकुल न होते. भागवत को सुना और परीक्षित को सुनाया. बिना सगुण साकार अवतार लिये भगवान के सगुण नाम, रूप, लीला, धाम का विस्तार हमको न मिलता. और बिना इसके प्राप्त हुये घोर मायाबध जीव किस प्रकार भगवत्प्राप्ति करते इसलिये जीव कल्याण के लिये ही भगवान का अवतार होता है.
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