Sunday, June 2, 2013

हो तो तुम पास ही मेरे
ओह मेरे श्याम

पर नजाने क्यों दर्शन ना देते हो श्याम
तेरी ही मूरत मन में बसी हैं घनशयाम
बसी हैं बन्सीवाले की बाँकी अदा
जिसने सारे जग को दीवाना हैं किया

मोर मुकुट
लगाये घूमते हो हिये में हमारे

बंसी बजाके हिये को चुरा के
अब चित चोर तुम जाते हो कहा
आँखों का पर्दा तो हटा दो...

कोई चाँद से मुहब्बत करता है ......
कोई सूरज से मुहब्बत करता है .........
कोई धन दौलत से मुहब्बत करता है ........
कोई खुद से मुहब्बत करता है ........
लेकिन हम तो वोह दीवाने है जो उसको मुहब्बत करते हैं .......
जो मेरे श्री श्याम से मुहब्बत करता है ......

एक बार राधा कहे प्राणी पावन होत
हरी पधारे तासु मन और जगे प्रेम की ज्योत
जगे प्रेम की ज्योत सांवरो हिये बिराजे
मोर मुकुट और बांसुरी पीताम्बर साजे
श्री वृन्दावन वास मिले हो प्रेम अगाधा

... तेरो हो जीवन कल्याण कहे इक बार जो राधा
राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा
श्री राधा जय राधा राधा राधा राधा राधा राधा