Thursday, March 28, 2013

धर्मशास्त्रों के मुताबिक कर्म शक्ति ही ज़िंदगी में सुख-दु:ख या हार-जीत नियत करने वाली मानी गई है। कर्म का संग सुख, शांति और सफलता की राह पर ले जाता है है तो कर्महीनता ही आलस्य, दरिद्रता, असफलता व कलह की जड़ है। इसलिए हर पल कर्म को ही सामने रख बिना किसी स्वार्थपूर्ति के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में जीवन की सार्थकता है।

जगतपालक विष्णु के अवतार लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण के ये बेजोड़ सूत्र जन्म से लेकर मृत्यु तक बेहतर, सुखी, समृद्ध व शांत जीवन जीने का रास्ता बताते हैं। यही वजह है कि हर वक्त श्रीकृष्ण का स्मरण कलह व अशांति से दूर रहने का बेहतर उपाय माना गया है।

खासतौर पर हिन्दू पंचांग के फाल्गुन माह में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण कर मनाए जाने वाले फागोत्सव या होलिकोत्सव का सिलसिला चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी जारी रहता है। यह दिन रंगपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जीवन को खुशियों के हर रंग से सराबोर करने के लिए यह खास श्रीकृष्ण मंत्र बोलना मंगलकारी माना गया है।



- स्नान के बाद मुरलीधर भगवान कृष्ण व जगतपालक विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी व शक्कर व गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।

- स्नान के बाद श्रीकृष्ण को केसरयुक्त या पीला चंदन, पीले फूल, पीला वस्त्र, मौली के साथ मक्खन-मिश्री या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

- चंदन की अगरबत्ती और गोघृत दीप जलाकर नीचे लिखें कृष्ण मंत्र का स्मरण तुलसी की माला के साथ पीले आसन पर बैठ करें। स्मरण के समय संकटमुक्ति की कामना करें -

श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे।
त्रायस्व मां केशव लोकनाथ गोविन्द दामोदर माधवेति।।

-  मंत्र स्मरण के बाद श्रीकृष्ण की धूप, दीप आरती करें। श्रीकृष्ण को चढ़ाई मौली को रक्षासूत्र के रूप में दाएं हाथ में बांधे, चंदन मस्तक पर लगाएं। माखन-मिश्री का प्रसाद ग्रहण करें।