Tuesday, November 12, 2013

 हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा महालक्ष्मी का स्वरूप माना गया है व देवी लक्ष्मी जगतपालक भगवान विष्णु की पत्नी मानी गईं है। वे विष्णुप्रिया भी पुकारी गईं हैं। इस तरह तुलसी भी पवित्र और पापनाशिनी मानी गई है। यही वजह है कि धार्मिक दृष्टि से घर में तुलसी के पौधे की पूजा और उपासना हर तरह की दरिद्रता का नाश कर सुख-समृद्ध करने वाली होती है।

यही नहीं, शास्त्रों में तुलसी को वेदमाता गायत्री का स्वरूप भी पुकारा गया है। इसलिए खासतौर पर हिन्दू माह कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी (13 नवंबर) पर भगवान विष्णु का ध्यान कर गायत्री व लक्ष्मी स्वरूप तुलसी पूजा मन, घर-परिवार व कारोबार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारी भी माना गया है।

देवउठनी एकादशी की सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे की गंध, फूल, लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करें। फल का भोग लगाएं।

धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा व सुख-समृद्धि की कामना से कम से कम 108 बार स्मरण करें व अंत में  तुलसी की आरती करें-

तुलसी गायत्री मंत्र -

 

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।

विष्णु प्रियायै धीमहि।

तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

 

- पूजा व मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें।