Saturday, August 25, 2012
jai shree bankey bihari ji: हिन्दू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक मान...
jai shree bankey bihari ji: हिन्दू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक मान...: हिन्दू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक माने जाते हैं। हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतपुराण के मुताबिक धर्म की रक्षा के लिए सतयुग से ...
हिन्दू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक माने जाते हैं। हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतपुराण के मुताबिक धर्म की रक्षा के लिए सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए, जिनमें से दस प्रमुख अवतार 'दशावतार' के रूप में प्रसिद्ध हैं।
18 अगस्त से शुरू भगवान विष्णु की ही भक्ति के विशेष काल अधिकमास में इन विष्णु अवतारों का स्मरण भी सारे सांसारिक दुःख व कलह को दूर करने वाला माना गया है
वराह अवतार - वराह यानी सुअर का रूप लेकर भगवान ने समुद्र में जाकर हिरण्याक्ष राक्षस को मार पृथ्वी की रक्षा की।
नरसिंह अवतार - भगवान विष्णु ने आधे शेर और आधे इंसान के रूप में धर्म विरोधी बने हिरण्यकशिपु को मार भक्त प्रहलाद को बचाया।
वामन अवतार - बौने ब्राह्मण के रूप में भगवान विष्णु ने दानव राज व दानवीर राजा बलि से देवताओं की रक्षा के लिए दान में तीन पग में भूमि़, आकाश व स्वयं राजा बलि को भी समर्पित होने को विवश कर दिया।
परशुराम अवतार - ब्राह्मण योद्धा के रूप में भगवान विष्णु ने अहंकारी व अत्याचारी हुए क्षत्रियों का नाश कर धर्म की रक्षा की।
श्रीराम अवतार - मानवीय रूप में भगवान राम ने मर्यादा को स्थापित करते हुए अधर्मी रावण का अंत कर दिया। इसी वजह से वे मर्यादा पुरुषोत्तम पुकारे गए।
श्रीकृष्ण अवतार - भगवान विष्णु का यह अवतार 16 कलाओं से पूर्ण माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्मी कंस का वध करने के साथ कर्मयोग का महान सूत्र जगत को सिखाया।
बुद्ध अवतार - क्षमा, शील और शांति स्वरूप इस अवतार के जरिए भगवान विष्णु ने धर्म व समाज को नुकसान पहुंचा रही बुराईयों का अंत किया।
कल्कि अवतार ( यह अवतार कलयुग के अंत में होना माना गया है)। माना जाता है कि इस अवतार के जरिए धर्मभ्रष्ट हुए हर जन का संहार होगा व सृष्टि की नई शुरुआत होगी
मत्स्य अवतारः सतयुग में भगवान विष्णु ने मछली का रूप लेकर धर्म व वेद की रक्षा करते हुए मनु महाराज की नाव को प्रलय से बचाया व सृष्टि को आगे बढ़ाने का ज्ञान व प्रेरणा दी।
कूर्म अवतार - भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान कछुए के रूप में मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर मथनी की तरह रखा व वासुकी नाग को रस्सी की तरह उपयोग कर देव-दानवों ने सागर को मथा, जिससे जगत कल्याण करने वाली मां लक्ष्मी व अमृत कलश सहित 14 अनमोल रत्न मिले।
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा
उनकी पूजा में, सुन ले ऐ उद्धव
यहां दम दम में होती है पूजा
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
जो असल में हैं मस्ती में डूबे
उन्हें क्या परवाह ज़िंदगी की
जो उतरती है, चढ़ती है मस्ती
वो हकीकत में मस्ती नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
जिसकी नज़रों में हैं श्याम प्यारे
वो तो रहते हैं जग से न्यारे
जिसकी नज़रों में मोहन समाये
वो नज़र फिर तरसती नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है —
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
जो असल में हैं मस्ती में डूबे
उन्हें क्या परवाह ज़िंदगी की
जो उतरती है, चढ़ती है मस्ती
वो हकीकत में मस्ती नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
जिसकी नज़रों में हैं श्याम प्यारे
वो तो रहते हैं जग से न्यारे
जिसकी नज़रों में मोहन समाये
वो नज़र फिर तरसती नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है —
वो काला एक बासुँरी वाला, वो काला इक बासुँरी वाला
सुध बिसरा गया मोरि रे,
माखनचोर जो नंदकिशोर वो, कर गयों ओ रे मन की चोरी रे
कर गयों ओ रे मन की चोरी रे सुध बिसरा गया मोरि ....
कर गयों ओ रे मन की चोरी रे सुध बिसरा गया मोरि ....
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे.
पनघट पे मोरि बइयाँ मरोडी ....३
मैं बोली तो मेरी मटकी फोडी.
पइयाँ परु करु विनती मैं पर ..२
माने न इक वो मोरि
सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला, वो काला इक बासुँरी वाला...
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे....
छुप गयो फिर इक तान सुना के ...३
कहा गयो एक बाण चला के,
गोकुल ढूंढ़ा, मैनें मथुरा ढूंढ़ी ..२
कोइ नगरियाँ ना छोडी रे, सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
सुध बिसरा गया मोरि रे.... , वो काला इक बासुँरी वाला,
वो काला इक बासुँरी वाला सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला ,
वो काला इक बासुँरी वाला... माख्ननचोर जो,
नंदकिशोर वो, कर गयों औरे मन की चोरी रे
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