हिन्दू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक माने जाते हैं। हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतपुराण के मुताबिक धर्म की रक्षा के लिए सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए, जिनमें से दस प्रमुख अवतार 'दशावतार' के रूप में प्रसिद्ध हैं।
18 अगस्त से शुरू भगवान विष्णु की ही भक्ति के विशेष काल अधिकमास में इन विष्णु अवतारों का स्मरण भी सारे सांसारिक दुःख व कलह को दूर करने वाला माना गया है
वराह अवतार - वराह यानी सुअर का रूप लेकर भगवान ने समुद्र में जाकर हिरण्याक्ष राक्षस को मार पृथ्वी की रक्षा की।
नरसिंह अवतार - भगवान विष्णु ने आधे शेर और आधे इंसान के रूप में धर्म विरोधी बने हिरण्यकशिपु को मार भक्त प्रहलाद को बचाया।
वामन अवतार - बौने ब्राह्मण के रूप में भगवान विष्णु ने दानव राज व दानवीर राजा बलि से देवताओं की रक्षा के लिए दान में तीन पग में भूमि़, आकाश व स्वयं राजा बलि को भी समर्पित होने को विवश कर दिया।
परशुराम अवतार - ब्राह्मण योद्धा के रूप में भगवान विष्णु ने अहंकारी व अत्याचारी हुए क्षत्रियों का नाश कर धर्म की रक्षा की।
श्रीराम अवतार - मानवीय रूप में भगवान राम ने मर्यादा को स्थापित करते हुए अधर्मी रावण का अंत कर दिया। इसी वजह से वे मर्यादा पुरुषोत्तम पुकारे गए।
श्रीकृष्ण अवतार - भगवान विष्णु का यह अवतार 16 कलाओं से पूर्ण माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्मी कंस का वध करने के साथ कर्मयोग का महान सूत्र जगत को सिखाया।
बुद्ध अवतार - क्षमा, शील और शांति स्वरूप इस अवतार के जरिए भगवान विष्णु ने धर्म व समाज को नुकसान पहुंचा रही बुराईयों का अंत किया।
कल्कि अवतार ( यह अवतार कलयुग के अंत में होना माना गया है)। माना जाता है कि इस अवतार के जरिए धर्मभ्रष्ट हुए हर जन का संहार होगा व सृष्टि की नई शुरुआत होगी
मत्स्य अवतारः सतयुग में भगवान विष्णु ने मछली का रूप लेकर धर्म व वेद की रक्षा करते हुए मनु महाराज की नाव को प्रलय से बचाया व सृष्टि को आगे बढ़ाने का ज्ञान व प्रेरणा दी।
कूर्म अवतार - भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान कछुए के रूप में मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर मथनी की तरह रखा व वासुकी नाग को रस्सी की तरह उपयोग कर देव-दानवों ने सागर को मथा, जिससे जगत कल्याण करने वाली मां लक्ष्मी व अमृत कलश सहित 14 अनमोल रत्न मिले।
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