Wednesday, October 10, 2012

""कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो
पायल का एक घुँघरू ही बना लो
और उसे अपने चरणकमलों से लगा लो

कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो
कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो
और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो
कान्हा जी हमे अपनी मुरली नही तो
अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो
और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो
कान्हा जी और कुछ नही तो अपने
चरणों की धूल ही बना लो
वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो
सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर
चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊँ मै.....""

ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा
उनकी पूजा में, सुन ले ऐ उद्धव
यहां दम दम में होती है पूजा

सर झुकाने की फुर्सत नहीं है

ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है !!

जो असल में हैं मस्ती में डूबे

उन्हें क्या परवाह ज़िंदगी की

जो उतरती है, चढ़ती है मस्ती

वो हकीकत में मस्ती नहीं है

ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है !!

जिसकी नज़रों में हैं श्याम प्यारे

वो तो रहते हैं जग से न्यारे

जिसकी नज़रों में मोहन समाये

वो नज़र फिर तरसती नहीं है

ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है !!

यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है

!!!!!!!!!!!!! HARE KRISHNA!!!!!!