Tuesday, December 11, 2012

शास्त्रों के अनुसार कई ऐसी चीजें बताई गई हैं जिन्हें घर में रखना शुभ माना जाता है। इन चीजों में बांसुरी भी शामिल है। सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण को बांसुरी अत्यंत प्रिय है।

घर में सुख-समृद्धि बनी रहे इसके लिए सभी कई प्रकार के उपाय करते हैं। कुछ उपाय धर्म से संबंधित होते हैं तो कुछ ज्योतिष के और कुछ वास्तु से संबंधित। इन सभी उपायों को अपनाने से संभवत: घर से नेगेटिव ऊर्जा दूर हो जाती है। यदि आपके घर में कुछ नेगेटिव हो रहा है तो यह परंपरागत उपाय अपनाने चाहिए।


पुराने समय से ही घर में सुख-समृद्धि और धन की पूर्ति बनाए रखने के लिए कई परंपरागत उपाय अपनाए जाते हैं। ऐसी ही एक उपाय है घर में बांसूरी रखना। जिस घर में बांसुरी रखी होती है वहां के लोगों में परस्पर प्रेम बना रहता है साथ ही श्रीकृष्ण की कृपा से सभी दुख और पैसों की तंगी भी दूर हो जाती है।


घर में बांसुरी ऐसे स्थान पर रखनी चाहिए जहां से वह आसानी से नजर आती रहे। किसी दीवार पर भी सुंदर सी बांसुरी लगाई जा सकती है। इससे घर की सुंदरता भी आकर्षक हो जाएगी। बाजार में कई तरह की सुंदर और मनमोहक बांसुरी उपलब्ध हैं जिनका उपयोग घर की सजावट में भी किया जाता है।


शास्त्रों के अनुसार बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। वे सदा ही इसे अपने साथ रखते हैं। इसी वजह से इसे बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण जब भी बांसुरी बजाते तो सभी गोपियां प्रेम वश प्रभु के समक्ष जा पहुंचती थीं।


बांसुरी से निकलने वाले स्वर प्रेम बरसाने वाला ही है। इसी वजह से जिस घर में बांसुरी रखी होती है वहां प्रेम और धन की कोई कमी नहीं रहती है।


सामान्यत: घर में बांस की बनी हुई बांसुरी ही रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार इस बांसूरी से घर के वातावरण में मौजूद समस्त नेगेटिव एनर्जी समाप्त हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। परिवार के सदस्यों के विचार सकारात्मक होते हैं जिससे उन्हें सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

हिन्दू धर्म पंचांग की चतुर्दशी तिथि या चौदहवां दिन भगवान विष्णु व महादेव की भक्ति की शुभ घड़ी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं में इस तिथि की रात भगवान शिव का दिव्य ज्योर्तिलिंग प्रकट हुआ तो वहीं भगवान विष्णु भी इस शुभ तिथि पर नृसिंह रूप में अवतरित हुए।
यही वजह है कि चतुर्दशी तिथि (12 दिसंबर) पर भगवान नृसिंह की उपासना भक्त प्रहलाद की तरह ही सारे संकटों, मुश्किलों, दु:खों और मुसीबतों से बचाकर मनचाहे सुखों को देने वाली मानी गई है। चूंकि शास्त्रों में भगवान शिव व विष्णु भक्ति में भेद करना पाप तक माना गया है।
शिव व विष्णु अवतार से जुडे पौराणिक प्रसंग साफ भी करते हैं कि धर्म रक्षा और धर्म आचरण की सीख देने के लिए लिए युग और काल के मुताबिक दोनों ही देवता अलग-अलग स्वरूपों में प्रकट हुए।
अगर आप भी परेशानी या संकट में घिरे हों या सामना कर रहे हैं, तो संकटमोचन के लिए इस नृसिंह मंत्र का स्मरण भगवान विष्णु या नृसिंह प्रतिमा की पूजा कर जरूर करें।

 भगवान नृसिंह सुबह व शाम के  बीच की घड़ी में प्रकट हुए। इसलिए प्रदोष काल यानी सुबह-शाम के मिलन के क्षणों में ही गंध, चंदन, फूल व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा नृसिंह मंत्र मनोरथ सिद्धि की प्रार्थना के साथ बोलें व धूप, दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें - ध्यायेन्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।