Sunday, September 9, 2012

जब-जब धर्म की हानि होती है, भगवान अवतार लेकर अधर्म का अंत करते हैं। हिन्दू धर्मग्रंथों में इस संदेश के साथ अलग-अलग युगों में जगत का दु:ख और भय दूर करने वाले ईश्वर के अनेक अवतारों के पौराणिक प्रसंग हैं। दरअसल, इनमें सच्चाई और अच्छे कामों को अपनाने के भी कई सबक हैं। साथ ही इनके जरिए युग के बदलाव के साथ कर्म, विचार व व्यवहार में अधर्म और पाप के बढ़ने के भी संकेत दिए गए हैं।

इसी कड़ी में सतयुग, त्रेता, द्वापर के बाद कलियुग के लिए बताया गया है कि इसमें अधर्म का ज्यादा बोलबाला होगा, जिसके नाश के लिए भगवान विष्णु का कल्कि रूप में दसवां अवतार होगा। रामचरितमानस में भी कलियुग में फैलने वाले अधर्म का वर्णन मिलता है।

आज के दौर में भी व्यावहारिक जीवन में आचरण, विचार और वचनों में दिखाई दे रहे सत्य, संवेदना, दया या परोपकार जैसे भावों के अभाव से आहत मन अनेक अवसरों पर कलियुग के अंत और कल्कि अवतार से जुड़
ी जिज्ञासा को और बढ़ाता है।

हिन्दू धर्मग्रंथ भविष्य पुराण में अलग-अलग युगों की गणना व अवधि बताई गई है।




भविष्य पुराण के मुताबिक मानव का एक वर्ष देवताओं के एक अहोरात्र यानी दिन-रात के बराबर है। इसमें उत्तरायण दिन व दक्षिणायन रात मानी जाती है। दरअसल, एक सूर्य संक्रान्ति से दूसरी सूर्य संक्रान्ति की अवधि सौर मास कहलाती है। मानव गणना के ऐसे 12 सौर मासों का 1 सौर वर्ष ही देवताओं का एक अहोरात्र होता है। ऐसे ही 30 अहोरात्र, देवताओं के एक माह और 12 मास एक दिव्य वर्ष कहलाता है


सतयुग- 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)। त्रेतायुग- 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)। द्वापरयुग- 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)। कलियुग- 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)। इस तरह सभी दिव्य वर्ष मिलाकर 12000 दिव्य वर्ष देवताओं का एक युग या महायुग कहलाता है, जो चार युगों के सौर वर्षों के योग 43,200,000 वर्षों के बराबर होता है। खासतौर पर, कलियुग की बात करें तो पौराणिक व ऐतिहासिक तथ्यों पर गौर करने पर पता चलता है कि 4,32,000 साल लंबे कलियुग को शुरू हुए तकरीबन 6000 वर्ष ही गुजरे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अभी कलियुग और कितना बाकी है व कलियुग में बढ़े पापों का संहार करने भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने में कितना वक्त लगेगा। इनके अलावा निकट भविष्य में प्रलय होने की बातों के दावे भी इस गणना से परखें जा सकते हैं।