Tuesday, August 21, 2012

किसी भी काम में संकल्प के बिना कामयाबी मुश्किल हो जाती है। संकल्प के साथ ही योग्यता और कुशलता भी जरूरी है। मजबूत, दक्ष और समर्पित व्यक्ति ही संकल्प को पूरा कर सकता है और सफलता का अधिकारी होता है।

धार्मिक नजरिए से व्रत भी संकल्प का पर्याय है। व्रत पूरा करने और मनचाहे नतीजे पाने के लिए भी संकल्प, समर्पण और योग्यता जरूरी है। हर धर्म का व्यक्ति व्रतों का पालन करता है। इनके द्वारा वह इच्छाओं को पूरा करना व परेशानियों से निजात पाना चाहता है। हालांकि वक्त बदलने के साथ धार्मिक व्रतों में समय और सुविधाओं के मुताबिक बदलाव देखा गया है। किंतु हिन्दू धर्म शास्त्रों में धार्मिक व्रतों को किसे रखना चाहिए, इस संबंध में भी साफ तौर पर बताया गया है। ऐसे लोग भगवान की भक्ति से मनचाहा सुख-सौभाग्य पाते हैं।

व्रत-उपवास के यही शास्त्रोक्त बातें वर्तमान में जारी अधिकमास के लिए भी लागू होते हैं। जानिए इस विशेष घड़ी में व्रत-उपवास से किन-किन लोगों के लिए भाग्यशाली साबित होते हैं -

- वह व्यक्ति जो अपने वर्णाश्रम के आचार-विचार में रहते हों। यानी व्यक्ति का आचरण वर्णाश्रम के मुताबिक नियत उम्र, धर्म और संस्कारों के अनुरुप हो। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास आदि अवस्थाओं के लिए नियत पवित्र आचरणों का पालन करने वाला। इस अवधि का वर्तमान संदर्भ में विचार करें।

- जो व्यक्ति झूठ-कपट या छल से दूर रहता हो।

- जो व्यक्ति लालच न रखता हो।

- ऐसा व्यक्ति जो मन, बोल और काम में सत्य को अपनाता हो।

- जो व्यक्ति पूरे जगत के लिए परोपकार और हित की भावना रखता हो।

- वेदों को मानने और सम्मान करने वाला।

- बुद्धिमान और संकल्पवान व्यक्ति जो पूरी तरह से विधि-विधान से धर्म-कर्म को करने वाला हो।

इस तरह के गुण रखने वाले कोई भी स्त्री या पुरुष, चाहे वह ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र ही क्यों न हों, व्रत के अधिकारी हैं।

इनके अलावा शास्त्रों में विवाहित स्त्रियों के व्रत रखने के संबंध में बहुत अच्छी बात बताई गई है, जिसके मुताबिक सौभाग्यवती स्त्री के लिए पतिव्रत ही सर्वश्रेष्ठ और कल्याण करने वाला कहा गया है। पति की सेवा ही किसी भी यज्ञ, व्रत और उपासना से श्रेष्ठ है। इससे वह स्त्री स्वर्ग और देवलोक को पा सकती है। फिर भी अगर कोई महिला व्रत करने की इच्छुक हो तो वह पति की आज्ञा से व्रत पालन कर सकती है।

आधुनिक संदर्भों में भी यहीं बातें बहुत प्रासंगिक सिद्ध होती है। इनको धार्मिक और व्यावहारिक जीवन में अपनाकर चरित्र और जीवन में आए दोष और बुराइयों को दूर कर सकते हैं। धर्म विरोधी विचारों वाले लोग इन बातों का दोष दर्शन और छिद्रान्वेषण द्वारा उपहास कर सकते हैं। लेकिन धर्म पालन करने वाले व्यक्तियों के लिए इन बातों का पालन उतना ही आसान है।

OM GOVINDAE VIDHMAE

OM GOVINDAE VIDHMAE

Gopi Vallabhaya Dheemahe Thanno Krishna Prachodayath.