Monday, January 14, 2013

मैं साहिल पे लिखी हुई इबादत नहीं
जो लहरों से मिट जाती है
मैं बारिश कि बरसती बूंद नहीं
जो बरस कर थम जाती है
मैं ख्वाब नहीं,
जिसे देखा और भुला दिया
मैं चांद भी नहीं,
जो रात के बाद ढल गया
मैं हवा का वो झोंका भी नहीं,
के आया और गुजर गया
मैं तो वो अहसास हूं ,
जो तुझमे लहू बनकर गरदिश करे
मैं वो रंग हू
जो तेरे दिल पर चढे
ओर कभी ना उतरे
मे वो गीत हूं ,
जो तेरे लबो से जुदा ना हो
ख्वाब, इबादत, हवा कि तरह ...
चांद, बुंद, शमा कि तरह
मेरे मिटने का सवाल नहीं..
क्यूंकि
मैं तो मोहब्बत हूँ .....
!!जय श्रीराधे...जय श्रीराधे...जय श्रीराधे...!!
!!जय श्रीराधे...जय श्रीराधे...जय श्रीराधे.!!

मधुवन की लताओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !

घनघोर घटाओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !!

यमुना का किनारा हो , निर्मल जल धरा हो !

वहां झुला झुलाते हुए घनश्याम तुम्हें देखूं !!

जागृत की अवस्था में, तुम सामने हो मेरे !

सो जाऊ तो सपनों में घनश्याम तुम्हें देखूं !!

वृन्दावनकी गल्लियाँ हो, संग चंचल सखियाँ हो!

वहां रास रचाते हुए घनश्याम तुम्हें देखूं !!

टेढे हो खड़े मोहन, टेढा है मुकुट तेरा !

अधरों पे धरे मुर

ली घनश्याम तुम्हें देखूं !!

मधुवन की लताओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !

घनघोर घटाओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !!

तू सामने रहे मेरे, मै तेरा दीदार करू
सब कुछ भुला के,सिर्फ तुझे ही प्यार करू
तेरी जुल्फों के साये मे जिन्दगी मिली
तेरी आँखों मे डूब के,ख़ुशी मिली
तुझ से भी बढ़ कर तुझ पे ऐतबार करू
तुम न थे दिल मे,कोई अरमान न था
इस नाकाम जिन्दगी मे,कही मुकाम न था
सफ़र के हर मोड़ पे,तेरा इन्तेजार करू
वादा करो मुझ से,कभी दूर न जाओगे
मेरे दिल को ख़ुशी देकर फिर न रुलाओगे
मेरे सब कुछ तुम हो कान्हा,तुझ पे जान निसार करू

कोई श्याम सुन्दर से कहदो यह जाके,

भुला क्यों दिया हमें, अपना बना के |

अभी मैंने तुमको निहारा नहीं है,

तुम्हारे सिवा कोई हमारा नहीं है |

चले क्यों गए श्याम दीवाना बना के,

भुला क्यों दिया हमें, अपना बना के