Monday, January 14, 2013

मधुवन की लताओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !

घनघोर घटाओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !!

यमुना का किनारा हो , निर्मल जल धरा हो !

वहां झुला झुलाते हुए घनश्याम तुम्हें देखूं !!

जागृत की अवस्था में, तुम सामने हो मेरे !

सो जाऊ तो सपनों में घनश्याम तुम्हें देखूं !!

वृन्दावनकी गल्लियाँ हो, संग चंचल सखियाँ हो!

वहां रास रचाते हुए घनश्याम तुम्हें देखूं !!

टेढे हो खड़े मोहन, टेढा है मुकुट तेरा !

अधरों पे धरे मुर

ली घनश्याम तुम्हें देखूं !!

मधुवन की लताओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !

घनघोर घटाओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !!

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