Wednesday, October 24, 2012

रधिका पास आकर बोली...
आज फ़िर से उल्झन मे हू स्वामी
कहा आज फ़िर किसी ने
कोई और है कृष्णा की पटरानी...
क्यु भ्रम मे हो कि कृष्णा तुम्हारा है
रास रचाये गोपियो संग
मीरा का प्यारा है.
आज प्रीत की पूछ नही
ये सब कह्ते है
व्यथित मन के देख सवाल
कृष्णा मुस्कराते है...
बोली राधा
सुनो प्रिये..
तुम यु ना मुस्कराओ
मेरे अनुत्रित प्रेश्नो का
कुछ समाधान बताओ
कहा कृष्णा ने "हे राधे"
सुनो ध्यान से
जो कह्ता हू.
राधे शब्द का आज अर्थ बतलाता हू..
रुक्मनि, सत्याभामा है मुझ्को प्यारी
लेकिन राधे शब्द के आगे हर कोई हारी...
" बिना राधे. श्याम आधे"
ये मूल जीवन का
अगर समझ लो तुम इसको
तो कृष्णा तुम्हारा है..
न लेगा कोई नाम मेरा
बिना तुम्हे याद किये-