जहां जगतपालक भगवान विष्णु का सत्व गुणी यानी सत्य, धर्म, शांति, सुख और पावनता के भावों से सराबोर चरित्र जीने की प्रेरणा व जज्बा देता है तो वहीं उनका विराट स्वरूप कर्म व धर्म की राह बताने वाला है। इसी तरह उनके सारे चमत्कारी अवतार नैतिक मूल्यों और सही आचरण का सबक देकर ज़िंदगी को सही तरीके से जीना सिखाते हैं।
खासतौर पर ज़िंदगी में दायित्वों को निभाते वक्त भी जगतपालक की तरह शांति और संयम की बड़ी अहमियत है ताकि बेहतर आजीविका के साथ बिन बाधा सफलता और तरक्की पाकर खुशहाल जीवन गुजार सकें।
शास्त्रों के मुताबिक एकादशी तिथि भगवान विष्णु की उपासना शुभ तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु मंत्रों के ध्यान से लक्ष्मी की प्रसन्नता भी मिलती है, जो दौलत, यश, प्रतिष्ठा , तरक्की की ऐसी ही कामना जल्द पूरी करती है।
इस दिन सुबह व शाम के वक्त भगवान विष्णु को केसरिया चंदन मिले जल से स्नान कराएं। स्नान के बाद चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल चढ़ाकर व मिठाइयों का भोग लगाकर चंदन धूप व गोघृत दीप जलाएं।
पद्मनाभोरविन्दाक्ष: पद्मगर्भ: शरीरभूत्।
महद्र्धिर्ऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वज:।।
अतुल: शरभो भीम: समयज्ञो हविर्हरि:।
सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जय:।।