Sunday, August 26, 2012

शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु को 'हरि' तो महादेव को 'हर' कहकर पुकारा जाता है। इन शब्दों में एक भाव समान रूप से जुड़ा है, जो भगवान विष्णु की जगतपालक व शिव की संहारक शक्ति उजागर करता है। साथ ही इस बात को बल देता है कि भगवान शिव व विष्णु में कोई भेद नहीं है। यह भाव है - 'हरना' यानी छिनना, ले लेना या दूर करना।

इसका मतलब यही है कि भगवान शिव व विष्णु की भक्ति सारे दु:ख, कलह व संताप को दूर कर सुख, सौभाग्य, शांति व समृद्धि देती है। कल अधिकमास (18 अगस्त से शुरू) में सोमवार को ऐसा ही शुभ संयोग बना है। सोमवार के साथ अधिकमास की एकादशी तिथि का अचूक योग बना है।

यहां बताया जा रहा है इस शुभ योग में भगवान विष्णु व शिव की पूजा का ऐसा उपाय जो आसान भी है और जल्द सौभाग्य देने वाला भी। यह उपाय है - भगवान शिव व विष्णु की विशेष मंत्र के साथ पंचामृत पूजा। पंचामृत पूजा में भगवान शिव व विष्णु को दूध, दही, शहद, घी व शक्कर चढ़ाना सेहत, संतान, आयु, श्री व वैभव के साथ सारी परेशानियों को दूर करने वाली मानी गई है। जानिए यह सरल उपाय -

- सोमवार व एकादशी संयोग में यथासंभव सुबह-शाम स्नान के बाद भगवान शिव व विष्णु को प्रिय विशेष सामग्रियों से पूजा करें। इनमें भगवान विष्णु को केसरिया चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल व पीले पकवान तो भगवान शिव को सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, सफेद फूल, बिल्वपत्र के साथ सफेद मिठाई चढ़ाएं।

- इन सामग्रियों को चढ़ाने से पहले दोनों देवताओं का दूध, दही, शक्कर, शहद व घी मिलाकर बने पंचामृत से नीचे लिखा वेद मंत्र बोल स्नान कराएं-

ॐ पंचनद्यः सरस्वतीमपियन्तिसस्त्रोतसः ।

सरस्वतीतुपंचधासोदेशेभवत्सरित् ।

- पूजा व पंचामृत स्नान के बाद भगवान शिव व विष्णु से घर-परिवार की खुशहाली की कामना के साथ आरती व क्षमाप्रार्थना करें।

jai vishnu devae namha

सांसारिक जीवन के लिए त्रिदेवों की उपासना रचना या सृजन, पालन और बुराइयों व बुरे भावों के संहार की ही प्रेरणा से जुड़ी है। इनमें भगवान विष्णु जगतपालक के रूप में पूजनीय है। शास्त्रों के मुताबिक खासतौर पर एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना सुख, शांति, सद्भाव और खुशहाली लाने वाली मानी गई है।

इसी कड़ी में तीन साल में आने वाली अधिकमास की कमला एकादशी पर भगवान विष्णु की भक्ति मंगलकारी मानी जाती है। इस तिथि व बाकी अधिकमास में भी भगवान विष्णु की उपासना में विशेष और आसान विष्णु मंत्रों का स्मरण कुटुंब की सुख-समृद्धि व शांति के लिए बहुत ही शुभ माने गये है।

खासतौर पर वक्त की कमी या किसी मजबूरी में शास्त्रोक्त तरीकों से न कर पाने की स्थिति में यहां भगवान विष्णु की तस्वीरों के दर्शन कर साथ बताए पूजा व 3 विष्णु मंत्रों के जप के उपाय कर मुरादें पूरी की जा सकती है -

- सुबह और शाम दोनों ही वक्त स्नान के बाद देव मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति को केसर या चंदन मिले जल से स्नानस्नान कराएं।

- चंदन, पीले फूल, पीला वस्त्र, पीले फल चढ़ाएं।


ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। इस मंत्र से धन कामना पूरी हो जाती है।


नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात।। यह विष्णु गायत्री मंत्र सारे कलह दूर कर सुख-सफलता की कामना पूरी करता है।

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाड्गंम् लक्ष्मीकातं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यंम्र्। वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम्।। यह मंत्र शांति, धैर्य, विवेक व समृद्धि देता है।

हिंदू धर्म मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव की उपासना सांसारिक जीवन की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसी सिलसिले में अक्सर कई लोग दायित्वों के पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्याद धन बटोर सफल जीवन जीने की चाहत रखते हैं।

धर्म के नजरिए से धनवान बनने के लिए जरूरी होता है कि कर्म और दायित्वों के बीच सही तालमेल बैठाया जाए। वरना अर्थ या धन के बिना जीवन के अन्य पुरुषार्थों को पाना मुश्किल हो सकता है।

शिव जगदगुरु हैं। इसलिए माना जाता है कि सोमवार को शिव भक्ति के खास उपाय अपनाने के शुभ प्रभावों से बना ज्ञान व कर्म का बेहतर गठजोड़ धन व तरक्की देने वाला साबित होता है। ये आसान उपाय हर रोज अपनाना भी शुभ होते हैं।

सुबह या शाम स्नान कर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग को पवित्र जल यथासंभव गंगाजल में दूध मिलाकर स्नान कराएं।

स्नान कराने के बाद शिव को गंध, अक्षत, सफेद वस्त्र चढ़ाने के अलावा धन कामना पूरी करने के लिए यहां बताए जा रहे विशेष फूल-पत्रों या किसी 1 को शिव को जरूर चढ़ाएं। ये हैं - कमल, बिल्वपत्र, शतपत्र और शंखपुष्प। शास्त्रों के मुताबिक शिव को मात्र ये 4 फूल-पत्र चढ़ाने से अपार लक्ष्मी प्राप्ति होने के साथ सारे पाप भी धुल जाते हैं। शिव की इन विशेष पत्र-फूलों से पूजा के बाद शिव मंत्र, स्त्रोत या स्तुति कर कर्पूर और घी के दीप से आरती कर जीवन से दरिद्रता के नाश की कामना और लक्ष्मी की प्रसन्नता की कामना करें।