शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु को 'हरि' तो महादेव को 'हर' कहकर पुकारा जाता है। इन शब्दों में एक भाव समान रूप से जुड़ा है, जो भगवान विष्णु की जगतपालक व शिव की संहारक शक्ति उजागर करता है। साथ ही इस बात को बल देता है कि भगवान शिव व विष्णु में कोई भेद नहीं है। यह भाव है - 'हरना' यानी छिनना, ले लेना या दूर करना।
इसका मतलब यही है कि भगवान शिव व विष्णु की भक्ति सारे दु:ख, कलह व संताप को दूर कर सुख, सौभाग्य, शांति व समृद्धि देती है। कल अधिकमास (18 अगस्त से शुरू) में सोमवार को ऐसा ही शुभ संयोग बना है। सोमवार के साथ अधिकमास की एकादशी तिथि का अचूक योग बना है।
यहां बताया जा रहा है इस शुभ योग में भगवान विष्णु व शिव की पूजा का ऐसा उपाय जो आसान भी है और जल्द सौभाग्य देने वाला भी। यह उपाय है - भगवान शिव व विष्णु की विशेष मंत्र के साथ पंचामृत पूजा। पंचामृत पूजा में भगवान शिव व विष्णु को दूध, दही, शहद, घी व शक्कर चढ़ाना सेहत, संतान, आयु, श्री व वैभव के साथ सारी परेशानियों को दूर करने वाली मानी गई है। जानिए यह सरल उपाय -
- सोमवार व एकादशी संयोग में यथासंभव सुबह-शाम स्नान के बाद भगवान शिव व विष्णु को प्रिय विशेष सामग्रियों से पूजा करें। इनमें भगवान विष्णु को केसरिया चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल व पीले पकवान तो भगवान शिव को सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, सफेद फूल, बिल्वपत्र के साथ सफेद मिठाई चढ़ाएं।
- इन सामग्रियों को चढ़ाने से पहले दोनों देवताओं का दूध, दही, शक्कर, शहद व घी मिलाकर बने पंचामृत से नीचे लिखा वेद मंत्र बोल स्नान कराएं-
ॐ पंचनद्यः सरस्वतीमपियन्तिसस्त्रोतसः ।
सरस्वतीतुपंचधासोदेशेभवत्सरित् ।
- पूजा व पंचामृत स्नान के बाद भगवान शिव व विष्णु से घर-परिवार की खुशहाली की कामना के साथ आरती व क्षमाप्रार्थना करें।
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