Friday, December 21, 2012
धर्म ग्रंथों में मिले वर्णन करने के भगवान श्रीकृष्ण की 16108 रानियां थी। उनमें से प्रमुख आठ पटारानियां थी। जिनके नाम इस प्रकार है रुक्मिणी,सत्यभामा,जाम्बवंती,सत्या,कालिंदी,लक्ष्मणा, मित्रविन्दा। इन आठों पटरानियों से श्रीकृष्ण के दस-दस पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं......
रुक्मिणी: प्रधुम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।
जाम्बवंती: साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।
सत्या: वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगु, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुन्ति।
कालिंदी: श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।
मित्रविन्दा: वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।
लक्ष्मणा: प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊध्र्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।
भद्रा: संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।
सत्यभामा: भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।
ईश्वरीय
सत्ता को मानने वाले हर धर्मावलंबी के लिए ईश्वर से जुडऩे के लिए ज्ञान और
कर्म के अलावा एक ओर आसान उपाय बताया गया है। यह तरीका है - भक्ति। भक्ति
का मार्ग न केवल ज्ञान और कर्म की तुलना में आसान माना गया है, बल्कि भक्ति
के जो रूप बताए गए हैं, वह व्यावहारिक जीवन में अपनाना हर उस इंसान के लिए
संभव है, जो देव कृपा से जीवन में सुख और शांति की कामना रखता है।
हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगदगीता में लिखी बात भक्ति के 9 रूप उजागर करती है -
श्रवणं कीर्तनं विष्णों: स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्य्रमात्मनिवेदनम्।।
इसमें भगवान की भक्ति के 9 रूप श्रवण यानी सुनकर, कीर्तन, स्मरण, चरणसेवा,
पूजन-अर्चन, वन्दना, दास भाव, सखा भाव और समर्पण भाव को बहुत ही शुभ बताया
गया है।
यही नहीं भक्ति के इन 9 रास्तों से जिन भक्तों ने भगवान की कृपा पाई, उनके
नाम भी धर्मग्रंथों में मिलते हैं। जानिए उन 9 विलक्षण और महान भक्तों के
नाम उनके द्वारा अपनाए भक्ति के 9 अद्भुत तरीके -
श्रवण - राजा परीक्षित
कीर्तन - श्रीशुकदेवजी
स्मरण - भक्त प्रह्लाद
चरण सेवा - देवी लक्ष्मी
पूजन-अर्चन - राजा पृथु
वन्दना - अक्रूरजी
दास - श्रीहनुमान
सखा या मित्र भाव - अर्जुन
समर्पण - राजा बलि
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