मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा
एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार 23 दिसंबर, रविवार को यह व्रत है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का
ज्ञान दिया था, जो मोक्ष प्रदान करता है। इसी कारण इस एकादशी को मोक्षदा
एकादशी कहते हैं। इसकी विधि इस प्रकार है-
मोक्षदा एकादशी (23 दिसंबर, रविवार) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर
सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात शौच आदि से निवृत्त होकर शुद्ध
जल से स्नान करें। इसके पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान
श्रीकृष्ण का पूजन करें और रात को दीपदान करें। रात में सोए नहीं। सारी
रात भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए।
जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनकी क्षमा माँगनी चाहिए। सुबह
पुन: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें व योग्य ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथा
संभव दान देने के पश्चात ही स्वयं भोजन करें। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस
व्रत का फल हजारों यज्ञों से भी अधिक है। रात्रि को भोजन करने वाले को
उपवास का आधा फल मिलता है जबकि निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो
देवता भी वर्णन नहीं कर सकते।
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