Saturday, February 16, 2013

एक ही ईश्वर के अलग-अलग धर्मों में कई नाम है। सनातन धर्म में भी ईश्वर के गुण, स्वरूप और दिव्य शक्तियों के आधार पर तीन रूप माने गए हैं। यह तीन रूप त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहलाते हैं।
इनमें भगवान विष्णु को जगत का पालन माना गया है। श्रीविष्णु को आनंद स्वरूप यानी सुख देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। आपने भगवान विष्णु का 'हरि' नाम भी कई बार जाने-अनजाने बोला और सुना होगा

शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के 'हरि' नाम का शाब्दिक मतलब हरण करने या चुरा लेने वाला होता है। कहा गया है कि 'हरि: हरति पापानि' जिससे यह साफ है कि हरि पाप या दु:ख हरने वाले देवता है। सरल शब्दों में 'हरि' अज्ञान और उससे पैदा होने वाले कलह को हरते या दूर कर देते हैं।
'हरि' नाम को लेकर एक रोचक बात भी बताई गई है, जिसके मुताबिक हरि को ऐश्वर्य और भोग हरने वाला भी माना है। चूंकि भौतिक सुख, वैभव और वासनाएं व्यक्ति को भगवान और भक्ति से दूर करती है। ऐसे में हरि नाम स्मरण से भक्त इन सुखों से दूर हो प्रेम, भक्ति और अंत में भगवान से जुड़ जाता है।
यही वजह है कि 'हरि' नाम को धार्मिक और व्यावहारिक रूप से सुख और शांति का महामंत्र माना गया है।