हिन्दू धर्म पंचांग की चतुर्दशी तिथि या चौदहवां दिन भगवान विष्णु व महादेव की भक्ति की शुभ घड़ी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं में इस तिथि की रात भगवान शिव का दिव्य ज्योर्तिलिंग प्रकट हुआ तो वहीं भगवान विष्णु भी इस शुभ तिथि पर नृसिंह रूप में अवतरित हुए।
यही वजह है कि चतुर्दशी तिथि (12 दिसंबर) पर भगवान नृसिंह की उपासना भक्त प्रहलाद की तरह ही सारे संकटों, मुश्किलों, दु:खों और मुसीबतों से बचाकर मनचाहे सुखों को देने वाली मानी गई है। चूंकि शास्त्रों में भगवान शिव व विष्णु भक्ति में भेद करना पाप तक माना गया है।
शिव व विष्णु अवतार से जुडे पौराणिक प्रसंग साफ भी करते हैं कि धर्म रक्षा और धर्म आचरण की सीख देने के लिए लिए युग और काल के मुताबिक दोनों ही देवता अलग-अलग स्वरूपों में प्रकट हुए।
अगर आप भी परेशानी या संकट में घिरे हों या सामना कर रहे हैं, तो संकटमोचन के लिए इस नृसिंह मंत्र का स्मरण भगवान विष्णु या नृसिंह प्रतिमा की पूजा कर जरूर करें।
भगवान नृसिंह सुबह व शाम के बीच की घड़ी में प्रकट हुए। इसलिए प्रदोष काल यानी सुबह-शाम के मिलन के क्षणों में ही गंध, चंदन, फूल व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा नृसिंह मंत्र मनोरथ सिद्धि की प्रार्थना के साथ बोलें व धूप, दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें - ध्यायेन्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।
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