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धर्म का यह महीना पुरुषोत्तम मास या अधिमास के रूप में प्रसिद्ध है।
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक यह मास 32 माह 16 दिन और चार घड़ी में फिर से
आता है। यानी लगभग 3 साल में एक बार। धार्मिक दृष्टि से यह मास भगवान
विष्णु और श्रीकृष्ण को समर्पित पुण्यदायी मास है। भगवान श्रीकृष्ण का ही
एक नाम पुरुषोत्तम होने से इस मास का नाम पुरुषोत्तम मास कहलाया। करीब 3
साल में आने वाला यह विशेष काल अधिकमास भी कहलाता हैयोतिष विज्ञान के
मुताबिक जिस चन्द्रमास में सूर्य की संक्रान्ति नही होती है वह मास अधिमास
कहलाता है। सरल शब्दों में अगर चन्द्रमास के दोनों ही पक्षों में सूर्य
किसी भी राशि में प्रवेश नहीं करता यानी संक्रमण नहीं करता है, तब वह
संक्रमणरहित मास साल के माहों की गिनती में अधिक हो जाता है। इसलिए इसे
अधिकमास भी पुकारा जाता है। इस बार इस बार पुरुषोत्तम मास का संयोग भाद्रपद
मास से हो रहा है। अधिकमास होने पर एक ही माह को पहला और दूसरा कहकर दो
बार गणना की जाती है। यह शुभ संयोग शनिवार (18 अगस्त) से शुरू हो रहा है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि भाद्रपद और अधिकमास के संयोग के पूरे साठ दिनों
में से अधिमास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ कर अधिमास के कृष्ण पक्ष
की अमावस्या तक अधिमास के भगवान विष्णु व श्रीकृष्ण की भक्ति, सेवा,
व्रत-उपवास व दान-पुण्य करने से अक्षय फल व सौभाग्य प्राप्त होते हैं।
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