शालग्राम
शिला भगवान विष्णु का साक्षात स्वरूप मानी जाती है। इसलिए जहां शालग्राम
शिला होती है, वह स्थान तीर्थ के समान पुण्यदायी माना गया है। यही नहीं
शालग्राम शिला और भगवती स्वरूपा तुलसी का योग तो सारे अभाव, कलह और संताप
का अंत करने वाला माना गया है।
यही वजह है कि हिन्दू पंचांग की
हर एकादशी पर शालग्राम-तुलसी उपासना ज्ञान, धन, स्वास्थ्य, विद्या,
प्रतिष्ठा, यश सहित किसी भी अभाव का अंत करने वाली मानी गई है।
जीवन में ऐसे ही मंगल के लिए शास्त्रों में ऐसे भी छोटे-छोटे उपाय बताए गए
हैं, जिनसे शालग्राम व तुलसी उपासना एक ही साथ हो जाती है। इनमें ही एक
उपाय है शालग्राम शिला को स्नान कराकर तुलसी दल विशेष मंत्र से अर्पित करना
और चरणामृत ग्रहण करना। जानिए यह विशेष मंत्र-
- शालग्राम शिला को पवित्र स्थान या पात्र में रखकर पवित्र जल से स्नान या
अभिषेक कराकर साफ वस्त्र से पोंछकर नियत स्थान पर विराजित करें। केसरिया
चंदन, सुगंधित फूल चढ़ाकर पूजा करें, मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे तुलसी
मंत्र से तुलसी दल शालग्राम को अर्पित करें -
तुलसी हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम्।
भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम्।।
- तुलसी दल चढ़ाने के बाद शालग्राम या विष्णु भगवान की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर खुशहाल जीवन की कामना करें।
- शालग्राम शिला को पवित्र स्थान या पात्र में रखकर पवित्र जल से स्नान या अभिषेक कराकर साफ वस्त्र से पोंछकर नियत स्थान पर विराजित करें। केसरिया चंदन, सुगंधित फूल चढ़ाकर पूजा करें, मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे तुलसी मंत्र से तुलसी दल शालग्राम को अर्पित करें -
तुलसी हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम्।
भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम्।।
- तुलसी दल चढ़ाने के बाद शालग्राम या विष्णु भगवान की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर खुशहाल जीवन की कामना करें।
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