देवशयनी एकादशी शुक्रवार से अगले 117 दिन तक देव सोएंगे। देवताओं के शयन काल में मुहूर्त नहीं निकलने से शादी-ब्याह या कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। चातुर्मास में लोग मंदिरों-आश्रमों में कथा श्रवण एवं भगवान के भजन-कीर्तन करेंगे।
साधु-संत भी विहार बंद कर प्रवचनों की रसवर्षा करेंगे।
लग्न व मांगलिक कार्य हेतु शुभ मुहूर्त के लिए लोगों को देव उठनी एकादशी 13 नवंबर को देवताओं के जागने तक चार महीने लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
इसलिए शादी नहीं
चातुर्मास के चार मास में कर्क, सिंह, कन्या और तुला संक्रांति काल में मुहूर्त नहीं निकलते हैं, इसलिए विवाह आदि वर्जित है।
चातुर्मास में ये करें
चिंतन-मनन, भजन-कीर्तन, निष्काम हवन-पूजन, दान-पुण्य, व्रत, कथा श्रवण।
ये बिल्कुल न करें
विवाह, शुभ कार्य, उपनयन संस्कार, सकाम पूजा-अनुष्ठान, उत्तर दिशा में यात्रा।
जानें क्या है चातुर्मास
इसे चातुर्य मास भी कहते हैं अर्थात चतुराई से व्यवहार करने के मास।
आरंभ गुरु पूर्णिमा (इस बार 22 जुलाई) पर गुरु के सान्निध्य से।
प्रथम श्रावण
श्रावण यानि श्रवण (सुनने) का समय, प्रभु के भजन-कीर्तन कर कथा श्रवण करें।
द्वितीय भाद्र
भाद्र यानि श्रेष्ठ और पद यानि पैर। श्रेष्ठ कार्य के लिए कदम बढ़ाएं।
तृतीय आश्विन
ये संयम का मास है। पितृ-देवी अर्चन कर संयमित जीवन का संकल्प लें।
चौथा कार्तिक
कार्तिक में क क्रिया को दर्शाता है। इसमें क्रिया को प्रसारित कर आगे बढ़ें, तभी लक्ष्मी प्राप्ति संभव है।
9 का योग शुभता का सूचक
देव शयनी 19 जुलाई से देव उठनी एकादशी तक कुल 117 दिन देव सोकर जागेंगे। 117 का जोड़ 9 है। अंक ज्योतिष में 9 शुभता का सूचक है, जो 9 ग्रहों से मिलकर अच्छे योग बनाएगा।
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