हिंदू धर्म में चातुर्मास (देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक का समय) का विशेष महत्व है। चातुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते और धार्मिक कार्यों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। चातुर्मास के अंतर्गत सावन, भादौ, अश्विन व कार्तिक मास आता है। इस बार चातुर्मास का प्रारंभ 19 जुलाई, शुक्रवार से हो रहा है।
ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में चातुर्मास के दौरान कई नियमों का पालन करना जरुरी बताया गया है तथा उन नियमों का पालन करने से मिलने वाले फलों का भी वर्णन किया गया है।
चातुर्मास में ये करें-
- शारीरिक शुद्धि या सुंदरता के लिए परिमित प्रमाण (संतुलित मात्रा) के पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर) का सेवन करें।
- वंश वृद्धि के लिए नियमित रूप से दूध पीएं।
- पापों के नाश व पुण्य प्राप्ति के लिए एकभुक्त (एक समय भोजन), अयाचित (बिना मांगा) भोजन या सर्वथा उपवास करने का व्रत ग्रहण करें।
चातुर्मास में ये न करें-
- मधुर स्वर के लिए गुड़ का त्याग करें।
- दीर्घायु अथवा पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए तेल का सेवन न करें।
- सौभाग्य के लिए मीठे तेल का सेवन न करें।
- प्रभु शयन(चातुर्मास) के दिनों में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य जहां तक हो सके न करें। पलंग पर सोना, पत्नी का संग करना, झूठ बोलना, मांस, शहद और दूसरे का दिया दही-भात आदि का भोजन करना, हरी सब्जी, मूली एवं बैंगन भी नहीं खाना चाहिए।
No comments:
Post a Comment