Friday, April 5, 2013

धर्मशास्त्रों में सांसारिक जीवन के नजरिए से जगतपालक भगवान विष्णु की भक्ति, सेवा और उपासना मन और घर में प्रेम और शांति बनाए रखने के लिये शुभ मानी गई है। विष्णु पूजा दोषमुक्ति और मनचाही सुख-संपन्नता भी देने वाली होती है।

 

खासतौर पर एकादशी तिथि (6 मार्च) के स्वामी भगवान विष्णु ही माने गए हैं। इसलिए इस दिन मनचाही सिद्धियों के लिए भगवान विष्णु का स्मरण फलदायी माना गया है। लेकिन इसके लिए एकादशी पर विष्णु भक्ति में कुछ मर्यादाओं और नियम-संयम का पालन भी जरूरी बताया गया है। इनको भंग करना देवदोष का भागी बनाता है।

 एकादशी के दिन अन्न नहीं खाया जाता और जल ग्रहण नहीं किया जाता यानी यथासंभव बिना खाए एवं बिना जल पिए इस व्रत को करें।

- व्रती को इस दिन कांसे के बर्तन, उडद, मसूर, चना,  शाक, शहद, दूसरे का अन्न, दो बार भोजन और स्त्री प्रसंग इन दस बातों को त्याग दे। वहीं व्यावहारिक जिंदगी में भी इन 11 कामों से व्रती को दूर रहना चाहिए -

- जुआ खेलना,

- सोना,

- पान खाना,

- दातून करना,

- परनिन्दा,

- चुगली,

- चोरी,

- हिंसा,

- रति या सहवास,

- क्रोध,

- झूठ बोलना।


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