Tuesday, March 19, 2013

व्यावहारिक तौर पर अगर कोई व्यक्ति कलह और अशांति नहीं चाहता तो  इसके लिए छल, कपट व बुरे बर्ताव से दूरी भी बेहद जरूरी है। वहीं धार्मिक उपायों की बात करें तो हिन्दू धार्मिक परंपराओं व प्रसंगों के जरिए उजागर जीने के तरीके मन की सारी बेचैनी, भय और चिंता को दूर कर सुकूनभरे जीवन की राह आसान बनाते हैं। इनसे दिन के साथ रात भी सुख और शांति से सोकर गुजारना संभव बनाया जा सकता है।

 

धार्मिक उपायों में एक आसान तरीका भी है – सुबह के वक्त भगवान का स्मरण। हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु जगतपालक के साथ पितृ स्वरूप माने गए हैं। सरल शब्दों में कहें तो जिस तरह पिता का साया जीने का विश्वास और सुरक्षा देता है। वैसे ही शांत, सौम्य और आनंद स्वरूप भगवान विष्णु का सवेरे विशेष मंत्र से स्मरण शारीरिक और मानसिक तनावों को दूर रख मन को शांत रखता है।

 

खासतौर पर होलिकोत्सव से भी भगवान विष्णु के प्रसंग जुड़े हैं। इसके मुताबिक इन पुण्य घड़ी में ही भगवान विष्णु की कृपा से राजा हिरण्यकशिपु रूपी अधर्म, अशांति व कलह पर धर्म, सत्य, भक्ति व शांत स्वरूप भक्त प्रहलाद ने विजय पाई।   अगर आप भी चाहते हैं कि घर-परिवार खुशहाल रहे व मुश्किलों से बचा रहे तो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा (26 व 27 मार्च) तक यहां बताए जा रहे विष्णु मंत्र का हर सुबह ध्यान करना न चूकें।

प्रातः स्मरामि भवभीति महार्तिनाशम्

नारायणं गरूड़वाहनमब्जनाभम्।

ग्राहाभिभूत वरवारणमुक्तिहेतुं

चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम्॥

 

सरल शब्दों में मतलब है - संसार के भयरूपी बड़े से बड़े दुःख का नाश  करने वाले, ग्राह से गजराज को छुड़ाने वाले, चक्रधारी एवं नवीन कमलदल के समान नेत्र वाले, पद्मनाभ गरुड़वाहन पर विराजे भगवान् श्रीनारायण का मैं प्रातः स्मरण करता हूं।


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