अगर हम पशुओं के स्वाभाविक खान-पान, व्यवहार या दिनचर्या पर गौर करें तो उनमें बदलाव नजर नहीं आते। वहीं व्यावहारिक तौर पर अक्सर देखा जाता है बुद्धिमान होने के बावजूद भी इंसान पशु की तरह व्यवहार करते हैं। जाहिर है कि इंसान व पशु के तौर-तरीकों में इस फर्क की वजह बुद्धि ही होती है।
इस बात से यह भी साफ है कि बुद्धि के उपयोग से ही अच्छे या बुरे कर्म इंसान के सुख-दु:ख नियत करते है। बुद्धि ईश्वर की वह देन है, जो हर इंसान को प्राप्त होती है। किंतु धर्मशास्त्रों के मुताबिक ज्ञान के साथ अनुभव और व्यवहार के जरिए ही बुद्धि निखरती है। यानी विद्या, पुण्य कर्म और विचार बुद्धि को धार देते हैं। वहीं ज्ञान के अभाव, बुरे या पाप कर्मो से बुद्धि का नाश होता है।
हिन्दू धर्मशास्त्र महाभारत में सुखी जीवन के लिए ही बुद्धि के सही उपयोग से सुख की मंजिल तय करने के लिये ऐसा अंक गणित भी बताया गया है, जिसे सीखकर हर इंसान सांसारिक जीवन के संघर्ष में सफलता पा सकता है।
इस बात से यह भी साफ है कि बुद्धि के उपयोग से ही अच्छे या बुरे कर्म इंसान के सुख-दु:ख नियत करते है। बुद्धि ईश्वर की वह देन है, जो हर इंसान को प्राप्त होती है। किंतु धर्मशास्त्रों के मुताबिक ज्ञान के साथ अनुभव और व्यवहार के जरिए ही बुद्धि निखरती है। यानी विद्या, पुण्य कर्म और विचार बुद्धि को धार देते हैं। वहीं ज्ञान के अभाव, बुरे या पाप कर्मो से बुद्धि का नाश होता है।
हिन्दू धर्मशास्त्र महाभारत में सुखी जीवन के लिए ही बुद्धि के सही उपयोग से सुख की मंजिल तय करने के लिये ऐसा अंक गणित भी बताया गया है, जिसे सीखकर हर इंसान सांसारिक जीवन के संघर्ष में सफलता पा सकता है।
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