इस बार खर (मल) मास का प्रारंभ 16 दिसंबर, रविवार से होगा जो 14
जनवरी 2013, सोमवार तक रहेगा। हिंदू धर्मशास्त्रों में खर मास को बहुत ही
पूजनीय बताया गया है। मल मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। खर मास को
पुरुषोत्तम मास क्यों कहा जाता है इसके संबंध में हमारे शास्त्रों में एक
कथा का वर्णन है जो इस प्रकार है-
प्राचीन काल में जब सर्वप्रथम खर मास की उत्पत्ति हुई तो वह स्वामीरहित
मलमास देव-पितर आदि की पूजा तथा मंगल कार्यों के लिए वर्जित माना गया। इसी
कारण सभी ओर उसकी निंदा होने लगी। निंदा से दु:खी होकर मल मास भगवान विष्णु
के पास वैकुण्ठ लोक में पहुंचा और अपनी पीड़ा बताई। तब भगवान विष्णु मल
मास को लेकर गोलोक गए।
वहां भगवान श्रीकृष्ण मोरपंख का मुकुट व वैजयंती माला धारण कर स्वर्णजडि़त
आसन पर बैठे थे। भगवान विष्णु ने मल मास को श्रीकृष्ण के चरणों में नतमस्तक
करवाया व कहा कि यह मल मास वेद-शास्त्र के अनुसार पुण्य कर्मों के लिए
अयोग्य माना गया है इसीलिए सभी इसकी निंदा करते हैं। तब श्रीकृष्ण ने कहा
कि अब से कोई भी मलमास की निंदा नहीं करेगा क्योंकि अब से मैं इसे अपना नाम
देता हूं।
यह जगत में पुरुषोत्तम मास के नाम से विख्यात होगा। मैं इस मास का स्वामी
बन गया हूं। जिस परमधाम गोलोक को पाने के लिए ऋषि तपस्या करते हैं वही
दुर्लभ पद पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान व दान करने वाले को
सरलता से प्राप्त हो जाएंगे। इस प्रकार मल मास पुरुषोत्तम मास के नाम से
प्रसिद्ध हुआ।
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