राधा और कृष्ण, ये वो दो नाम हैं जो दो हो कर भी एक हैं..और एक साथ ही पुकारे जाते हैं...ये वो हैं जिन्होंने दुनिया को सच्चे प्रेम का अर्थ समझाया...
अपनी अलौकिक प्रेम कहानी से इन्होने ना सिर्फ प्रेम के निःस्वार्थ रूप को सार्थक किया बल्कि सारे जग को बता दिया कि प्यार कितना सरल, कितना निश्छल है..कितना पवित्र है...प्यार शारीरिक आकर्षण नहीं बल्कि आत्माओं का मिलन है..
भगवान् श्री कृष्ण और राधा का नाम हमेशा एक साथ पुकारा जाता है.. और इन सबका कारण है उनके बीच का अटूट प्रेम जो आज भी सच्चे प्यार का सबसे बड़ा उदाहरण है..वैसे तो इनकी प्रेम कहानी के अनेक रूप हैं जो अलग अलग लोगों द्वारा अलग अलग प्रकार से बताये जाते हैं.. मगर इन सबके बीच में एक चीज़ कभी नहीं बदलती और वो है इनका पवित्र प्रेम जो अतुलनीय और अमर है..कहीं इनके विवाह का ज़िक्र है तो कहीं बताया गया है कि इनका विवाह नहीं हुआ था...कुछ का मानना है कि राधा ने मुरली बन कर खुद को कृष्ण को समर्पित कर दिया...कहीं राधा को कृष्ण से उम्र में बड़ी कहा गया है, तो कहीं हमउम्र...मगर राधा और कृष्ण का प्रेम तो इन सब से परे था..इन सबसे ऊपर...इनका प्रेम किसी रिश्ते का मोहताज नहीं था..उनका समर्पण ही उनके प्यार की ताकत थी..
आज हमें अपने आस पास तमाम प्रेमी मिलेंगे..जो एक दूसरे से प्यार तो करते हैं, मगर किसी न किसी कारण से...उनके प्रेम के पीछे कोई न कोई स्वार्थ ज़रूर होता है. प्यार की वो निश्छलता और सादगी कहीं खो सी गयी है..बाजारीकरण के इस दौर में प्यार भी एक वस्तु मात्र बन कर रह गया है..लोग प्यार को लेकर एक दूसरे को धमकियाँ देते हैं.. मार-पीट करते हैं..एक दूसरे की जान लेते हैं.. मुक़दमे लड़ते हैं...प्यार के नाम पर लोग बदनाम हो रहे हैं..या यूं कहें कि "प्यार" बदनाम हो रहा है..
ऐसे में हम कैसे भूल सकते हैं उस प्यार को जो हमें अपने संस्कृति में अपने देवताओं ने सिखाया हो? राधा और कृष्ण का वो प्रेम का बंधन जिसमे ना कोई स्वार्थ था, न छल, न उम्मीदें, ना दिखावा, अगर कुछ था, तो सिर्फ और सिर्फ "समर्पण"...वो समर्पण जिसने प्यार को एक नयी परिभाषा दे दी..एक ऐसी परिभाषा जिसने प्यार को महज एक भावना तक सीमित न रख कर उसे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बना दिया..प्यार के बिना जीवन अधूरा है.. प्यार हमें जीना सिखाता है..हमारी खुशियों और कामयाबी की वजह बनता है..
आधुनिकीकरण की इस दौड़ में शामिल लोगों को यह याद रखना चाहिए की चाहे हम पाश्चात्य संस्कृति को अपनाये या भारतीय संस्कृति , हम हिन्दू धर्म को मानें या इस्लाम को, प्यार इन सबसे ऊपर है..प्यार की भावना हर किसी के लिए एक जैसी होनी चाहिए.. हम चाहे भारत में रहकर प्यार करें या अमेरिका जा कर लव करें, भावना वही है..शब्दों से, देश से, भाषा से प्यार को बांटा नहीं जा सकता..
राधा और कृष्ण का अमर और अलौकिक प्रेम हम सब के लिए एक प्रेरणा है.
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