Friday, November 1, 2013

दीपावली के एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस बार यह पर्व 2 नवंबर, शनिवार को है। नरक चतुर्दशी का पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन्हीं में से एक कथा नरकासुर वध की भी है जो इस प्रकार है-  

प्रागज्योतिषपुर नगर का राजा नरकासुर नामक दैत्य था। उसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया। वह संतों को भी त्रास देने लगा। महिलाओं पर अत्याचार करने लगा। उसने संतों आदि की 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बना लिया। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवताओं व ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए। 

भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नराकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वसान दिया लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया तथा उन्हीं की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। 

 

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