Sunday, June 23, 2013



शास्त्रों में कृष्ण भक्ति आनंद, सुख और सौभाग्य लाने वाली मानी गई है। श्रीकृष्ण की हर लीला भी कलह नाशक ही नहीं, बल्कि हर इंसान को अपनी गुण और शक्तियों को पहचान उनसे सफलता पाने का संदेश देती हैं। श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया कर्मयोग भी कलह और दु:खों से मुक्त रहने का सबसे श्रेष्ठ और बेजोड़ सूत्र है। 

 

इस तरह श्रीकृष्ण चरित्र कर्म से सफलता की प्रेरणा देता है। यही नहीं, श्रीमद्भगदगीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा है कि स्वाभाविक कर्तव्यों को पूरा करते चले जाना भी देव पूजा  की तरह है।

 

श्रीकृष्ण को इष्ट मानने वाले उन कामकाजी लोगों के लिए ही, जो विशेष त्योहार व उत्सवों पर घर से दूर होते हैं या इष्ट की पूजा का बेहद कम वक्त निकाल पाते हैं,  यहां बताए जा रहे हैं भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण पूजा के सरल उपाय, खासतौर पर विष्णु भक्ति की शुभ घड़ी पूर्णिमा  या हर रोज भी भक्ति और आस्था से अपनाएं तो हर परेशानी से छुटकारा मिलता है, साथ ही तरक्की भी।

सुबह पूजा के पहले स्नान करें।  भगवान श्रीकृष्ण बालकृष्ण की मृर्ति को गंगाजल और पंचामृत (गाय का दूध, दही, घी, शहद व शक्कर) स्नान कराएं।  

स्नान सामग्री जुटाना संभव न हो तो या तस्वीर पर ही कुंकुम, सुगंधित फूल या हार चढ़ाएं, अक्षत, पीले वस्त्र चढ़ाएं।

तुलसी के पत्ते यह मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं-

तुलसी हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम्।

भवमोक्षप्रदातुभ्यं गृहाण परमेश्वर।।

श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं।  फल चढ़ाएं। मिठाई (शक्कर भी) नैवेद्य के रूप में चढ़ा सकते हैं।

सुगंधित धूप और दीप प्रज्जवलित कर नीचे लिखे कृष्ण मंत्रों का आस्था से कलहनाश की कामना से स्मरण करें -

 

- ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय

- ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय

- ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम:

 

मंत्र ध्यान के बाद भगवान कृष्ण या विष्णु की आरती करें। प्रसाद बांटे और ग्रहण करें। पूजा, आरती में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।


Sunday, June 2, 2013

हो तो तुम पास ही मेरे
ओह मेरे श्याम

पर नजाने क्यों दर्शन ना देते हो श्याम
तेरी ही मूरत मन में बसी हैं घनशयाम
बसी हैं बन्सीवाले की बाँकी अदा
जिसने सारे जग को दीवाना हैं किया

मोर मुकुट
लगाये घूमते हो हिये में हमारे

बंसी बजाके हिये को चुरा के
अब चित चोर तुम जाते हो कहा
आँखों का पर्दा तो हटा दो...

कोई चाँद से मुहब्बत करता है ......
कोई सूरज से मुहब्बत करता है .........
कोई धन दौलत से मुहब्बत करता है ........
कोई खुद से मुहब्बत करता है ........
लेकिन हम तो वोह दीवाने है जो उसको मुहब्बत करते हैं .......
जो मेरे श्री श्याम से मुहब्बत करता है ......

एक बार राधा कहे प्राणी पावन होत
हरी पधारे तासु मन और जगे प्रेम की ज्योत
जगे प्रेम की ज्योत सांवरो हिये बिराजे
मोर मुकुट और बांसुरी पीताम्बर साजे
श्री वृन्दावन वास मिले हो प्रेम अगाधा

... तेरो हो जीवन कल्याण कहे इक बार जो राधा
राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा
श्री राधा जय राधा राधा राधा राधा राधा राधा