भाद्रमास मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी अनन्त चतुर्दशी के रूप
में मनाई जाती है। इस दिन भगवान अनन्त की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं
सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। दस
दिवसीय गणेशोत्सव की समापन भी इसी दिन होता है। इस बार अनन्त चतुर्दशी का
पर्व 29 सितंबर, शनिवार को है।
व्रत विधि
इस दिन
व्रती (व्रत करने वाला) को सुबह व्रत के लिए संकल्प लेना चाहिए व भगवान
विष्णु की पूजा करना चाहिए। भगवान विष्णु के सामने 14 ग्रंथियुक्त अनन्त
सूत्र (14 गांठ युक्त धागा, जो बाजार में आसानी से मिल जाता है) को रखकर
भगवान विष्णु के साथ ही उसकी भी पूजा करनी चाहिए। पूजा में रोली, मोली,
चंदन, फूल, अगरबत्ती, धूप, दीप, नैवेद्य आदि का प्रयोग करना चाहिए और
प्रत्येक को समर्पित करते समय ऊँ अनन्ताय नम: का जप करना चाहिए।
पूजा के बाद यह प्रार्थना करें-
नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।
नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।
न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि
यानीह कर्माणि मया कृतानि।
सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व
प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।
दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:
प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।
तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च
प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।
प्रार्थना
के पश्चात कथा सुनें तथा रक्षासूत्र पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं
हाथ में बांध लें। रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का जप करें-
अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।
इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देने के बाद स्वयं भोजन करें। इस दिन नमक रहित भोजन करना चाहिए।
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