Friday, September 14, 2012

बंसी की धुन पे नाची रे राधा हो के दीवानी,
काहना के रंग रच गयी राधा रानी।
किसना के तन मन बस गयी रे राधा हो के दीवानी॥

मोहन के नैनो में भरी मधुशाला।
दो घुट आँखो से पी गयी रे, राधा हो के दीवानी॥

गिरधर मुरारी का चंदा सा मुखड़ा।
देखा तो सुध बुध खो गयी रे, राधा हो के दीवानी॥

मोर मुकुट धर सांवर सांवरिया।
बांकी सी चित हर गयी रे, राधा हो के दीवानी॥

माधव के माथे पे लत घुंघराली।
घुंघराली लत में सिमट गयी रे राधा हो गयी दीवानी

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