Sunday, September 23, 2012

भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्ण प्रिया राधाजी का जन्म हुआ था,अत: यह दिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

बरसाना को राधा जी की जन्मस्थली माना जाता है।

बरसाना मथुरा से 50 कि.मी. दूर उत्तर-पश्चिम में और गोवर्धन से 21 कि.मी. दूर उत्तर में स्थित है। यह भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा जी की जन्म स्थली है। यह पर्वत के ढ़लाऊ हिस्से में बसा हुआ है। इस पर्वत को ब्रह्मा पर्वत के नाम से जाना जाता है।

बरसाना में राधा-कृष्ण भक्तों का सालों भर तांता लगा रहता है। श्रद्धालु इस दिन बरसाना की ऊँची पहाड़ी पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं तथा लाडली जी राधारानी के मंदिर में दर्शन कर खुशी मनाते हैं।

दिन के अलावा पूरी रात बरसाना में गहमागहमी रहती है। विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं।
ब्रज भूमि पर ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और यहीं पर उन्होंने अपना यौवन बिताया।

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो ! मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में राधा पूजा हो !!

तन्हाई की कब्रों में अब,दफ़्न हुए सारे अरमां !
दम निकले उसकी चरणों में,घर में जिसके राधा पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में ,पास न कोई दूजा हो !
मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में राधा पूजा हो !!

पंकज पथिक प्रेम का मारा,अथाह नीर में कुम्हलाया !
नैवेद्य- पात्र में उसे सजा लो,जब भी कोई राधा पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !
मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में राधा पूजा हो !!

अस्तित्व हीन पंकज पूजा बिन,पंकज बिन सूनी पूजा !
खो जाओ एक दूजे में तुम,जहाँ भी पावन राधा पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !
मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में राधा पूजा हो !!

कीचड़ का मै रहने वाला,तूं है प्रमाणशासनेश्वरी !
एक राह के दोनों राही,तुम ही तो मेरी पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !
मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में राधा पूजा हो !!

प्रेम राग हर दिशि में गूंजे,हो जाये जग मतवाला !
“राह” की बस अर्ज़ यही है,घर-घर प्रेम की पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !
मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में राधा पूजा हो_______

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