धर्म के नजरिए से पुरुषार्थ या कर्म या मेहनत ही वह राह है, जिस पर आगे चलकर जीवन के सारे सुख और आनंद पाना संभव हो पाता है। वहीं कर्म के लिए ऐसा संकल्प भाव जगाना ज्ञान के बूते ही संभव हो पाता है। पौराणिक मान्यताओं में जगतपालक भगवान विष्णु व उसने सारे अवतार जिनमें खासतौर पर भगवान कृष्ण ने कर्म और ज्ञान के ऐसे सबक सिखाए जो ज़िंदगी की हर मुश्किलों को आसान बना देते हैं।
18 से शुरू हुआ अधिकमास खासतौर पर इन दोनों देवताओं की भक्ति की शुभ घड़ी है। किंतु अधिकमास में गुरुवार को ही जगतगुरु साईं बाबा की उपासना का दुर्लभ संयोग बना है। साईं बाबा ने भी ज्ञान, कर्म व भक्ति रूपी संकल्प को जीवन के हर पहलू से जोड़कर सुख-सफलता के ऐसे ही अहम सूत्र सिखाए, जिनमें सभी की भलाई का भाव छिपा है।
धर्म आस्था से साईं बाबा भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं और भगवान दत्तात्रेय त्रिगुण शक्तियों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप। इसलिए खासतौर पर धर्म परंपराओं में अधिकमास में भगवान विष्णु और साईं बाबा के जगतपालक स्वरूप का ध्यान एक ही विशेष मंत्रों से करने का महत्व बताय गया है। इनके शुभ प्रभाव से शांति-सुख की इच्छा पूरी होती है और हर परेशानी दूर हो जाती है। जानिए अधिकमास-गुरुवार के दुर्लभ संयोग में भगवान विष्णु और साईं बाबा को याद करने के मंत्र विशेष व तरीका -
- गुरुवार को भगवान विष्णु और साईं बाबा के चरणों में दूध-जल, पीला या केसरिया चंदन, पीले फूल चढ़ाएं। यथाशक्ति प्रसाद चढ़ाकर अगली मनमोहक तस्वीर के साथ बताए साईं मंत्रों को भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए बोलें।ॐ श्री साईं जगत: पित्रे नम: (जगत पालन करने वाले साईं बाबा को नमन) ॐ श्री साईं योगक्षेमवहाय नम: (हर सुख देने के साथ उसकी रक्षा भी करने वाले साईंबाबा) ॐ श्री साईं प्रीतिवर्द्धनाय नम: (प्रेम भाव बढाने वाले साईंबाबा को नमन) ॐ श्री साईं भक्ताभय प्रदाय नम: (अभय दान देने वाले हैं साईं बाबा को नमन)
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