Wednesday, October 31, 2012
है आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे,
है शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे...
बकार वो मुख है जो व्यर्थ बातों में,
मुख है वो जो हरिनाम का सुमिरण किया करे...
हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की,
... है हाथ जो भगवान् का पूजन किया करे...
मर के भी अमर नाम है उस जीव का जग में,
प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे...
♥ ♥जय श्रीकृष्णा ♥ ♥
श्यामा तेरी यादों में जो अश्क बहते है ,
ये मेरे अंग का अनमोल रत्न है ,
इसे में अपने आँखों में समाये रखना चाहूंगी ज़िन्दगी
भर ,अश्क बहार आये अगर तेरी यादों में मोती बनकर ,
उस अश्क को में कभी बहने न दूंगी ,
ये मेरा वादा है !!
दोस्तों इस अनमोल रत्न को अगर कोई संभाल कर
रखे तो उसके ज़िन्दगी में कभी कोई दुःख नाम का चीज़
नहीं रहेगा !!
~ ~ जय श्री कृष्ण ~ ~
हिंदू
पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी
कहते हैं। इस एकादशी के दिन मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु
कीपूजा की जाती है। इस बार यह एकादशी 25 अक्टूबर, गुरुवार को है।
धर्म
ग्रंथों के अनुसार जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल प्राप्त करते है,
वही फल इस एकादशी के दिन शेषनाग पर शयन करने वाले श्री विष्णु को नमस्कार
करने से ही मिल जाते हैं और मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पड़ते हैं।
यह एकादशी उपवासक के मातृपक्ष के दस और पितृपक्ष के दस पितरों को विष्णु
लोक लेकर जाती है। इस व्रत की कथा इस प्रकार है-
प्राचीन समय में
विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर था। उसका
सारा जीवन पाप कर्मों में बीता। जब उसका अंत समय आया तो वह मृत्यु-भय से
कांपता हुआ महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचकर याचना करने लगा- हे ऋषिवर,
मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं
जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर
महर्षि अंगिरा ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने को कहा। महर्षि
अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत किया और
किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया।
Wednesday, October 24, 2012
रधिका पास आकर बोली...
आज फ़िर से उल्झन मे हू स्वामी
कहा आज फ़िर किसी ने
कोई और है कृष्णा की पटरानी...
क्यु भ्रम मे हो कि कृष्णा तुम्हारा है
रास रचाये गोपियो संग
मीरा का प्यारा है.
आज प्रीत की पूछ नही
ये सब कह्ते है
व्यथित मन के देख सवाल
कृष्णा मुस्कराते है...
बोली राधा
सुनो प्रिये..
तुम यु ना मुस्कराओ
मेरे अनुत्रित प्रेश्नो का
कुछ समाधान बताओ
कहा कृष्णा ने "हे राधे"
सुनो ध्यान से
जो कह्ता हू.
राधे शब्द का आज अर्थ बतलाता हू..
रुक्मनि, सत्याभामा है मुझ्को प्यारी
लेकिन राधे शब्द के आगे हर कोई हारी...
" बिना राधे. श्याम आधे"
ये मूल जीवन का
अगर समझ लो तुम इसको
तो कृष्णा तुम्हारा है..
न लेगा कोई नाम मेरा
बिना तुम्हे याद किये-
आज फ़िर से उल्झन मे हू स्वामी
कहा आज फ़िर किसी ने
कोई और है कृष्णा की पटरानी...
क्यु भ्रम मे हो कि कृष्णा तुम्हारा है
रास रचाये गोपियो संग
मीरा का प्यारा है.
आज प्रीत की पूछ नही
ये सब कह्ते है
व्यथित मन के देख सवाल
कृष्णा मुस्कराते है...
बोली राधा
सुनो प्रिये..
तुम यु ना मुस्कराओ
मेरे अनुत्रित प्रेश्नो का
कुछ समाधान बताओ
कहा कृष्णा ने "हे राधे"
सुनो ध्यान से
जो कह्ता हू.
राधे शब्द का आज अर्थ बतलाता हू..
रुक्मनि, सत्याभामा है मुझ्को प्यारी
लेकिन राधे शब्द के आगे हर कोई हारी...
" बिना राधे. श्याम आधे"
ये मूल जीवन का
अगर समझ लो तुम इसको
तो कृष्णा तुम्हारा है..
न लेगा कोई नाम मेरा
बिना तुम्हे याद किये-